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लेखनी प्रतियोगिता -19-Feb-2022 मैं सुंदर हूं

इस जहान में अगर किसी चीज की कद्र है तो वह है सुंदरता । अजी हम जैसे ऐरे गेरे नत्थू खैरों की बात छोड़ो , बड़े बड़े महान तपस्वी भी इसके आगे नतमस्तक होते हैं । अब महर्षि विश्वामित्र को ही देख लो। घोर तपस्या की । इतनी कि इंद्र का सिंहासन भी डोल गया। बस , फिर क्या था । मेनका को भेजा गया उनकी तपस्या भंग करने के लिए । मेनका ने भी अपनी बेपनाह सुंदरता का वो जादू चलाया कि विश्वामित्र की तपस्या एक कोने में लंगोट की तरह टंगी रह गई । सुंदरता के सामने तप बौना साबित हो गया । सुंदरता के अथाह सागर में योग और तप गोते लगाने लगे । उन दोनों के संयोग से शकुंतला का जन्म हुआ जो राजा दुष्यंत की पत्नी और भरत की मां बनी ।

जब सागर मंथन हुआ और उसमें से अमृत निकला जिसे लेकर असुर भाग गए तो देवता विष्णु भगवान के पास पहुंचे और सारा माजरा समझाया । इस संकट से निपटने के लिए भगवान विष्णु ने "मोहिनी" का रूप बनाया और असुरों को अपने रूप लावण्य, सौन्दर्य, हाव भाव , अदाओं , संगीत और लच्छेदार भाषा से ऐसा रिझाया कि सारा अमृत देवताओं को पिला दिया। राहू देवताओं का रूप धरकर देवताओं में आ मिला और अमृत पी गया तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया । तब  राहु और केतु का जन्म हुआ । भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की चर्चा आज तक होती है । इसलिए आज भी लोग अपनी पुत्रियों का नाम मोहिनी रखते हैं वो चाहे देखने में कैसी ही क्यों न हो ।

तो, सारी बातों का एक ही मतलब है कि सौंदर्य की दुनिया दीवानी है । बड़े बड़े साहित्यकारों ने सुंदरियों के सौन्दर्य का जो वर्णन किया है उससे सुंदरता खुद शरमा जाये । जिस तरह मंदिर में मूर्ति की ख्याति पुजारी बढवाता है उसी तरह किसी सुंदरी के सौन्दर्य की ख्याति कोई कवि, शायर , गीतकार या साहित्यकार चारों ओर फैलाता है । पर ये सुविधा तो केवल राजघरानों तक ही सीमित है इसलिए आम घरों की सुंदरियों की चर्चा तो गली मोहल्ले के दुमछल्ले, छिछोरे ही करते हैं। सुंदरियों को भी मज़ा तब ही आता है जब मनचलों की फौज उसकी सुंदरता का जयगान करते हुए उसके पीछे-पीछे चले । सुंदरता कि तारीफ ना हो तो सुंदरता किस काम की ?

पर , आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि "दिल लगा गधी से तो परी क्या चीज़ है" । कहते हैं कि लैला भी काली (कलूटी) थी । मैं आदरणीया लैला जी से क्षमायाचना करता हूं कि मैं ये शब्द इस्तेमाल कर रहा हूं लेकिन जो सुना है वह यही है । हकीकत में तो हमने ना तो रानी पद्मिनी को देखा और ना ही मलिका लैला को । सब कुछ सुनी सुनाई बातों पर ही चल रहा है । यद्यपि लैला काली थी लेकिन मजनूं को वह पसंद आ गई और उसके चक्कर में वह सब राजपाट छोड़कर फकीर बन बैठा । शायद उसके बाद ही यह कहावत बनी होगी। 

स्कूल में हमें किसी लड़की ने कोई भाव नहीं दिया । कॉलेज तक आते-आते हमें खुद महसूस हो गया कि "ये मुंह और मसूर की दाल" । इसलिए कभी भी दाल गलाने की कोशिश ही नहीं की । और फिर दाल गलने वाली हो तो गले । एक बार गलती से एक लड़की को बोल दिया था कि "तुम बहुत सुंदर हो " फिर तो इतने सैंडल पड़े कि उसके बाद आज तक अपनी बीवी को भी कभी नहीं कहा कि तुम बहुत सुंदर हो । बीवी बेचारी तरस गई ये शब्द सुनने को ।

जब नौकरी लग गई तो चारों तरफ से रिश्ते आने लगे। सारी बातें तय हो जाती फिर लड़की देखने का समय आता तो हमको देखकर लड़की ऐसे बिदकती जैसे दूल्हे को देखकर घोड़ी बिदकती है। करीब पचास लड़कियों ने रिजेक्ट किया होगा । लेकिन भगवान के घर देर है अंधेर नहीं । इसलिए अंत भला तो सब कुछ भला ।

हमारे पडौस में नये किरायेदार भुक्कड़ सिंह जी और उनकी पत्नी छमिया आये । छमिया भाभी इतनी सुंदर हैं कि "मोहिनी" भी शरमा जाये । हम अपना पड़ौसी धर्म निभाने के लिए उनके घर जा हैं रहे थे कि श्रीमती जी ने रस्सी बांधकर हमें रोक लिया और कहा कि आप कोई कुली हो क्या जो उनका सामान उतरवाने जा रहे हो। हमने मन ही मन कहा कि काश हम कुली ही होते । प्रकट रूप में इतना ही कहा कि पड़ौसी धर्म भाभी तो कोई चीज है ? और आखिर पड़ौसी ही पड़ौसी के काम आता है । और हमारा इंप्रेशन अच्छा पड़े इसीलिए मैं उनकी मदद करना चाहता हूं। श्रीमती जी ने कहा कि आपका इंप्रेशन तो दूर दूर तक फैला हुआ है । आपकी शक्ल देखकर हैं लड़कियां आपसे सौ गज दूर भाग जाती हैं । अगर आपका इंप्रेशन ज्यादा फैलेगा तो बाढ़ आ जायेगी मौहल्ले में । इसलिए घर में ही चुपचाप पड़े रहो ।  हम मन मसोस कर रह गए।

पत्नियों को तीन लोगों से सख्त एलर्जी है । एक सैक्रेटरी (महिला) , दो , सुंदर और जवान कामवाली बाई और तीन , पड़ौसन । इन तीनों से कभी सीधे मुंह बात नहीं करती है वो। एक बार मेरे आफिस में श्रीमती जी पहुंच गई और वहां मेरी खूबसूरत सेक्रेटरी को देखकर भन्ना गई । वहीं पर हील हुज्जत करने लगीं। उसके बाद बार बार में आफिस फोन कर करके पता करती रहती है कि मैं क्या कर रहा हूं और सेक्रेटरी क्या कर रही है । एक दिन तो वह उसे हटवाने के लिए मेरे बॉस के पास पहुंच गई । बॉस ने उसे बैठाया और पानी पिलवाया। जो लड़की पानी लेकर आई वह किसी मिस वर्ल्ड से कम नहीं थी । उसे देखकर वह समझ गई कि बॉस का टेस्ट कैसा है और बिना कुछ बोले ही वह वहां से वापस आ गई ।

मैंने एक सुंदर सी बीस बाईस साल की कामवाली बाई लगाई तो घर में महाभारत हो गया । मुझे ना जाने क्या क्या कहा गया । मैंने कहा कि मेरा अपराध तो बताओ देवी । हमारी न्यायव्यवस्था तो आतंकवादियों तक के लिए रात के बारह बजे भी सुप्रीम कोर्ट खोल देती है और आप मेरा पक्ष सुने बगैर ही "ना वकील , ना दलील बिना बात ही जलील " वाला फार्मूला अपना रही हो । वो बोली , मेरा फैसला ऐसे ही होता है। मरता क्या ना करता वाली तर्ज पर हम चुपचाप जलीकटी सुनते रहे । उसके बाद उन्होंने एक साठ साल की बूढ़ी अम्मा को काम पर रख लिया। श्रीमती जी शायद हमारी औकात बहुत अच्छी तरह जानती हैं । 

पड़ौसन और वह भी छमिया भाभी जैसी । मुकद्दर वालों को ही मिलते हैं ऐसे पड़ौसी । मेल-जोल बढ़ाने के लिए एक दिन हमने दोनों को बुलवा लिया। भुक्कड़ सिंह जी ने कहा कि वे डाइटिंग पर हैं लेकिन हमने पहली बार बुलवाया है तो अवश्य आयेंगे। मैं जलेबियां बहुत अच्छी बना लेता हूं। सरकारी अधिकारी हूं इसलिए लोगों को गोल गोल घुमाने में सिद्ध हस्त हूं। इस कारण मुझे जलेबियां बनाना आ गया। कुछ नहीं करना होता है , केवल गोल गोल घुमाते रहो । चार आदमियों के लिए बीस पच्चीस जलेबी बना लीं । श्रीमती जी ने पकौड़े , समोसे , ब्रैड पिज्जा आदि कई आयटम बनाये । भुक्कड़ सिंह जी और छमिया भाभी आये तो हमने दिल खोल कर स्वागत किया । हम तो छमिया भाभी के सौन्दर्य में डूब गए और उधर भुक्कड़ सिंह जी जलेबी और दूसरे नाश्ते में ।भुक्कड़ सिंह जी ने अकेले सारा नाश्ता साफ कर दिया। 
समय का पता ही नहीं चला । बस उस दिन के बाद से हम तो हमारी खिड़की के सामने बैठे रहते हैं। वहां से छमिया भाभी का दरवाजा दिखता रहता है, बस उसे देखते रहते हैं और खुश होते रहते हैं। 

जनवरी में एक शादी में हमें छमिया भाभी दिख गई। बहुत पतले से परिधान पहने थीं जबकि हम तो सूट बूट में थे और सर्दी से थर थर कांप रहे थे। मैंने पूछ ही लिया तो उन्होंने बताया कि हमारे चारों ओर हमारे सौन्दर्य की प्रशंसा करने वालों का घेरा सा बना रहता है इसलिए हमें सर्दी नहीं लगती है। फिर जब तक इस सौंदर्य और फिगर को कोई देखने और प्रशंसा करने वाला नहीं हो तो मजा नहीं आता है। उस दिन पता चला कि महिलाएं शादी में भरी सर्दी में भी ऊनी कपडे क्यों नहीं पहनती हैं ?

वो हमसे शिकायत करने लगीं कि आजकल तो आपने हमारी ओर देखना भी बंद कर दिया है और प्रशंसा करना भी । अब मैं उनको कैसे समझाऊं कि आजकल एक नया कानून बन गया है कि अगर तीस सैकेंड से ज्यादा किसी महिला को देखोगे तो दुष्कृत्य के आरोप में जेल की हवा खाओगे । इसी प्रकार अगर किसी महिला की खूबसूरती की भी प्रशंसा कर दी तो भी जेल की हवा खानी पड़ेगी । मैंने कहा कि हमारे आफिस में एक बंदे ने चालीस सैकेंड अपनी पी ए को देख लिया, वो आज तक जेल में है, जमानत तक नहीं हुई। इसी प्रकार हमारे बॉस ने अपनी सैक्रेटरी को एक दिन कह दिया " मिस मोना , यू आर सो ब्यूटीफुल " बस फिर क्या था , पुलिस पकड़ कर ले गई उनको । 

वो बोली, " भाईसाहब , आप तो बड़े डरपोक हो। इतना डरोगे तो कैसे जिंदा रह पाओगे। आपने वो कहावत नहीं सुनी है क्या कि " वीरस्य भोग्या वसुधा " । 

मैंने ना में सिर हिलाया तो एक हल्की सी चपत मेरे गाल पर लगाकर वो बोली । " इस धरती पर और किसी सुंदरी के दिल पर वही राज करता है जो वीर होता है, हिम्मतवाला होता है " । इतना कहकर वे चलीं गईं। 

उन्होंने हमारे गालों को छुआ , यही सोच सोचकर हम अपने मुकद्दर पर इठला रहे हैं और कभी कभी छमिया भाभी की मौजूदगी का अहसास करने के लिए उस गाल पर हाथ फिरा लेते हैं । उनकी हथेली का रेशमी स्पर्श आज भी गुदगुदाता है ।

( संपूर्ण काल्पनिक ) 

हरिशंकर गोयल "हरि"
19.2.22


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15 Comments

sunanda

01-Feb-2023 03:32 PM

very nice

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Arman

02-Mar-2022 06:02 PM

Shandar

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Hari Shanker Goyal "Hari"

02-Mar-2022 09:39 PM

धन्यवाद जी

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Marium

01-Mar-2022 05:30 PM

Badiya kahani

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Hari Shanker Goyal "Hari"

02-Mar-2022 08:21 AM

धन्यवाद जी

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